शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

मैने जिंदगी को देखा




मैने जिंदगी को देख     कविता


दिसंबर की कड़कती ठंड में
 दिल्ली के फुटपाथों पर,
  मैंने  ठिठुरती जिंदगी को देखा|
 भूख से बेज़ार,
अपंगों को अपनी जिंदगी से लाचार,
 चंद सिक्कों के लिए,
 गिड़गिड़ते देखा |
 भूख से बिलबिलाते,
 मासूमों को,
 कूड़े करकट में से,
 रोटी ढूंढ कर खाते देखा |
फुटपाथ पर रात गुजार,
 कोहरे ,सर्दी,शीत लहरों के,
थपेड़े सहते,
इन्ही फुटपाथों पर,
जीते और मरते देखा |



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